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संवैधानिक उपचार के अधिकार (अनुच्छेद 32) Article 32 in Constitution of India



संवैधानिक उपचार के अधिकार (अनुच्छेद 32)

 * अनुच्छेद 32 मौलिक अधिकारों को लागू कराने के लिए सर्वोच्च न्यायालय जाने का अधिकार है।

 * डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने अनुच्छेद 32 को संविधान की आत्मा और हृदय कहा है।

 * सर्वोच्च न्यायालय केवल मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर रिट जारी करता है।

 * अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय, मौलिक अधिकारों के साथ-साथ अन्य कानूनी अधिकारों के लिए भी रिट जारी कर सकता है।

 * रिट क्षेत्राधिकार में, सर्वोच्च न्यायालय मूल अधिकारिता रखता है, लेकिन अनन्य नहीं (क्योंकि उच्च न्यायालय भी जारी कर सकता है)।

पाँच प्रकार की रिट पर सिंगल-लाइनर

 * बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus): इसका अर्थ है 'सशरीर प्रस्तुत करो'; यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए सबसे महत्वपूर्ण रिट है।

 * परमादेश (Mandamus): इसका अर्थ है 'हम आदेश देते हैं'; यह सार्वजनिक अधिकारी को उसका कर्तव्य पालन करने का आदेश देती है।

 * प्रतिषेध (Prohibition): यह निचली अदालत को उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकने के लिए जारी की जाती है।

 * उत्प्रेषण (Certiorari): यह निचली अदालत के निर्णय को रद्द करने या मामले को ऊपर स्थानांतरित करने के लिए जारी की जाती है।

 * अधिकार पृच्छा (Quo Warranto): इसका अर्थ है 'किस अधिकार से'; यह सार्वजनिक पद पर किसी व्यक्ति के दावे की वैधता की जांच करती है।




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