नन्दाराज जात यात्रा उत्तराखण्ड की एक प्रसिद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक यात्रा है, जो माँ नन्दा देवी को समर्पित होती है। यह यात्रा हर 12 वर्ष (या कभी-कभी 4 या 6 वर्ष) में होती है और इसे कुमाऊँ की कुंभ यात्रा भी कहा जाता है।
🌺 मुख्य जानकारी — नन्दा राज जात यात्रा:
विषय | विवरण |
---|---|
समर्पित देवी | माँ नन्दा देवी (कुमाऊँ-गढ़वाल की आराध्य देवी) |
मुख्य स्थान | कुरुड़ गाँव (कर्णप्रयाग), नौटी (चमोली), और होमकुंड (ऊँचाई पर स्थित अंतिम पड़ाव) |
अवधि | लगभग 19-22 दिन |
दूरी | लगभग 280 किलोमीटर पैदल यात्रा |
समय | भाद्रपद (अगस्त-सितम्बर) माह |
आयोजन | ग्रामीण समुदाय, राज परिवार (नौटी गाँव से), और स्थानीय श्रद्धालु |
🛕 यात्रा का मार्ग (संक्षेप में):
- नौटी गाँव से प्रारंभ होकर यात्रा माँ नन्दा की छवि (डोली/पालकी) के साथ निकलती है।
- यह यात्रा कई गांवों, नदियों, जंगलों और बुग्यालों (घास के मैदानों) से होती हुई होमकुंड तक पहुँचती है।
- होमकुंड में पूजा अर्चना के बाद माँ की प्रतीक मूर्ति को पवित्र झील में विसर्जित किया जाता है।
🌄 सांस्कृतिक महत्व:
- यह यात्रा लोक जीवन, भक्ति और हिमालयी संस्कृति का अद्भुत संगम है।
- इसमें ढोल-दमाऊं, लोक गीत, और पारंपरिक नृत्य शामिल होते हैं।
- यात्रा में शामिल "लाटू देवता" (नन्दा देवी के भाई) का भी खास स्थान है — उनकी अनुमति के बिना यात्रा शुरू नहीं होती।
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