- मादा कस्तूरी मृग की गर्भधारण अवधि 6 माह होती है।
- कस्तूरी मृग का मुख्य भोजन केदारपाती है।
- कस्तूरी नर मृग के गुदा में स्थित ग्रंथि से प्राप्त की जाती है अर्थात कस्तूरी केवल नर मृग में ही पाई जाती है।
- एक मृग से कस्तूरी 3-3 वर्ष के अंतराल में 30 से 45 ग्राम तक प्राप्त किया जा सकता है।
- नेपाल में कस्तूरी को कपिल, कश्मीर में कस्तूरी पिंगल तथा सिक्किम में कस्तूरी को कृष्ण कहते हैं।
- औषधि उद्योग में कस्तूरी का प्रयोग दमा, मिरगी, हृदय सम्बन्धी रोगों की दवाई बनाने में प्रयुक्त होता है। यह एक प्राकृतिक रसायन है।
- रासायनिक रूप से कस्तूरी मिथाइल ट्राईक्लोरो पेंटाडेकेनल है।
उत्तराखंड राज्य पुष्प - ब्रह्मकमल
- ब्रह्मकमल राज्य के हिमालयी क्षेत्रों में 4800 मी. - 6000 मी. की ऊँचाई पर मिलता है (Notes Publication, B. S. Negi)।
- ब्रह्मकमल का फूल एस्टेरेसी कुल का पौधा है।
- ब्रह्मकमल का वैज्ञानिक नाम सोसुरिया अबवेलेटा (Saussurea obvallata) है।
- ब्रह्मकमल को स्थानीय भाषा में कौल पदम कहते हैं।
- हिमाचल प्रदेश में ब्रह्मकमल को दूधाफूल कहते हैं।
- कश्मीर में ब्रह्मकमल को गलगल कहा जाता है।
- ब्रह्मकमल की अन्य प्रजातियों में फेनकमल व कस्तूरा कमल भी मिलते हैं।
- महाभारत के वन पर्व में ब्रह्मकमल को सौगंधिक पुष्प कहा गया तथा नेपाल में ब्रह्मकमल को टोपगोला कहते हैं।
- ब्रह्मकमल की विश्व में 210 प्रजाति व राज्य में 24 प्रजातियां पायी जाती हैं।
- सोसुरिया ग्रामिनीफोलिया (फेनकमल), सोसुरिया लप्पा, सोसुरिया सिमेसोनिया तथा सोसुरिया ग्रासोफेरा (कस्तूरा कमल) उत्तराखंड में पायी जाने वाली इसकी प्रमुख प्रजातियां हैं।
- ब्रह्मकमल राज्य में फूलों की घाटी, केदारनाथ व पिंडारी हिमनद, शिवलिंग बेस आदि क्षेत्रों में बहुतायत में पाए जाते हैं।
- ब्रह्मकमल माँ नंदा का प्रिय पुष्प है और नंदाष्टमी को तोड़ने का महत्व है।
- ब्रह्मकमल को हिमालयी पुष्पों का सम्राट कहा जाता है।
ब्रह्मकमल की विशेषता
- ब्रह्मकमल बैंगनी रंग का होता है और इसकी पुष्प टहनियों में नहीं, बल्कि पीली पत्तियों से निकले कमल पात में पुष्प गुच्छ के रूप में खिलता है।
- ब्रह्मकमल पौधे की ऊँचाई 70 से 80 सेमी होती है।
- ब्रह्मकमल फूल के खिलने का समय जुलाई से सितम्बर तक होता है।
- ब्रह्मकमल के पौधे पर एक वर्ष में केवल एक ही पुष्प पाया जाता है।
- ब्रह्मकमल का पुष्प अर्द्धरात्रि को खिलता है।
- ब्रह्मकमल पौधे की जड़ों को पीलिया उपचार में प्रयोग किया जाता है।
फेनकमल / फेणाकमल
- यह ब्रह्मकमल की प्रजाति का एक विरल पुष्प है जो उच्च हिमालयी क्षेत्रों में उत्पन्न होता है।
- गढ़वाल हिमालय की नीते-माणा घाटी के हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाले इस पुष्प से वहाँ के पालसी (पशुचारकों/अणवालियों) परिचित होते हैं।
- इसका सफेद पुष्प फेन (झाग) के समान श्वेत और सुकोमल होने से इसे यह नाम दिया गया है।
- इसे सितम्बर-अक्टूबर के मौसम में 14000 फीट की ऊँचाई वाले क्षेत्रों में देखा जा सकता है।
उत्तराखंड का राज्य पक्षी - मोनाल ]
राज्य गठन के बाद मोनाल को राज्य पक्षी का दर्जा दिया गया।
● मोनाल को हिमालय का मयूर कहा जाता है इसका वैज्ञानिक नाम लोफोफोरस इंपीजेनस है ।
●नेपाल का राष्ट्रीय पक्षी मोनाल है डाफिया परिवार से सम्बन्धित पक्षी है मोनाल को स्थानीय भाषा में मन्याल या मुनाल कहा जाता है ।
●मोनाल पक्षी राज्य के 2500-5000 मी॰ की ऊँचाई वाले क्षेत्रों में पाये जाते हैं मोनाल फासियानिडे परिवार का पक्षी है और मोनाल की 4 अन्य प्रजातियाँ इम्पेलेर, स्केलेटेरी, ल्यूरी एवं ल्यूफोफोरसेंस आदि भी पायी जाती है ।
●कश्मीर में मोनाल को सुनाल व हिमाचल प्रदेश में नीलेगुरू तथा सिक्किम में मोनाल पक्षी को चामदोंग कहते हैं राज्य के अलावा मोनाल असम, कश्मीर, हिमाचल व नेपाल में भी पाये जाते हैं।
● मोनाल पक्षी घोंसला नहीं बनाती है यह किसी चट्टान या पेड़ के छेद में अंडे देती है नर मोनाल के सिर पर मोर की भांति कलगी होती है ।
● मोनाल का प्रिय भोजन आलू की फसल है हिमालयी पक्षियों का सिरमौर कहे जाने वाले मोनाल को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित किया गया है सर्वाधिक मात्रा में मोनाल केदारघाटी में पाये जाते हैं ।
●राज्य के वन्य जीव संरक्षण बोर्ड द्वारा पहली बार 2008 में मोनाल की गणना करायी गयी और 2008 तक राज्य में कुल मोनालों की संख्या 919 थी ।
●वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 में 6 अनुसूचियाँ हैं जिसमें से मोनाल को अनुसूची नम्बर एक में रखा गया है।
उत्तराखंड राज्य वृक्ष बुरांस-
●बुरांस वृक्ष 1500-4000 मी० की ऊँचाई पर मिलने वाला एक सदाबहार वृक्ष है, इसका वानस्पतिक नाम रोडोडेंड्रोन आरबोरियम है ।
●बुरांस एरिकेसी कुल का वृक्ष है इसे हिमाचल प्रदेश में बुरंशों कहते हैं एवं कन्नड़ में बिली कहा जाता है।
● बुरांस नेपाल का राष्ट्रीय पुष्प है, जहाँ बुरांस को गुराँश कहा जाता है ।
●बुरांस हिमाचल प्रदेश व नागालैंड का राज्य पुष्प है ।
●बुरांस के पुष्प में मिथेनॉल होता है जो डायबिटीज के लिए फायदेमंद होता है।
● बुरांस वृक्ष को वन संरक्षण अधिनियम 1974 के तहत संरक्षित वृक्ष घोषित किया गया ।
●बुरांस वृक्ष की विशेषता - बुरांस फूलों का रंग चटक लाल होता है एवं सफेद रंग के बुरांस 11000 फिट की ऊँचाई पर पाये जाते हैं बुरांस के फूलों के खिलने का समय फरवरी से अप्रैल तक होता है।
[ राज्य तितली कॉमन पीकॉक ]
7 नवम्बर 2016 को कॉमन पीकॉक या लोग मोर को राज्य तितली घोषित किया गया था। उत्तराखण्ड की राज्य तितली का संशोधित नाम बुली वेडेड पीकॉक है बुली वेडेड पीकॉक का वैज्ञानिक नाम पैपिलियो बाइनर है।
● 2016 में देहरादून के लच्छीवाला में बटरफ्लाई पार्क खोला गया ।