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राष्ट्रीय वनस्पति उद्यान लखनऊ के द्वारा दिये जा रहे प्रशिक्षण के दूसरे दिन रेजिन आर्ट के बारे में बताया गया साथ ही "सीमैप"में प्रशिक्षार्थियों द्वारा विजिट किया गया ।
राष्ट्रीय वनस्पति उद्यान लखनऊ में हो रहे तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दूसरे दिन रेजिन का उपयोग कर क्राफ्टिंग का सही उपयोग कैसे किया जायेगा, साथ ही फूलों को भी रेजिन के अंदर डालकर आकर्षक सजावटी सामग्री बना सकते है साथ ही रेजिन के अंदर प्राकृतिक रंगों का प्रयोग कर महिलाओं के लिए इयरिंग, ज्वेलरी आदि बना सकते है, साथ NBRI के द्वारा प्रशिक्षार्थियों को केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान लखनऊ ("सीमैप") में विजिट करवाया गया जहाँ पर विभिन्न प्रकार की औषधीय पौधे, गुलाब की बहुत सी प्रजातियों को दिखाया गया ।
इस प्रशिक्षण के तहत बताया गया कि किस प्रकार से महिलाओं के स्वरोजगार में वृद्धि कर सकते है किस विधि के द्वारा पौधों को उगाया जाना चाहिए कैसे इनका प्रयोग आम लोगों तक पहुंचाया जाए, के बारे विस्तृत से बताया गया, साथ ही सीमैप संवाद हॉल में डॉ आर. के. श्रीवास्तव के द्वारा उद्यान में उगाए जा रहे पौध-प्रजाति के बारे में बताया गया।
सीमैप उद्यान में लेमन ग्रास, रामा, श्यामा तुलसी, मेहंदी, शतावर, सफेद मूसली, गुलाब, पामारोजा, सिट्रोनेला, जिरेनियम, मेंथा, दमसक गुलाब, सेंटेला, हजार दाना, सदाबाहर फूल, केवा कन्द, हल्दी की प्रजाति, स्टीविया आदि प्रजाति उपस्थित है ।
इस अवसर पर जलागम प्रबंधन निदेशालय, देहरादून से श्री उपेंद्र रावत (बायोडायवर्सिटी विशेषज्ञ), सुश्री गीता रावत (जैडर एंड सोशल एक्सपर्ट), श्री रजनीश सिंह (उन्नतिशील कृषक, पौड़ी), मसूरी वन प्रभाग से श्री आनंद सिंह रावत (वन दरोगा), डॉ. ज्योति मारवा (डायरेक्टर डॉ ओम प्रकाश दुग्गल चैरिटेबल सोसाइटी एंड हिम सुरभि एरोमा म्यूजियम, मसूरी), श्री विवेक डोभाल (वन आरक्षी), तथा अभिलाषा श्रीवास्तव, डॉ. दीक्षा गौतम, नीलम सिंह, विनोद सिंह यादव, सविता रमोला ने इस प्रशिक्षण में भाग लिया।