राजनीतिक - भारतीय संविधान के विकास का संक्षिप्त इतिहास भाग-1
- 1757 की प्लासी की लड़ाई और 1764 के बक्सर के युद्ध को अंग्रेजों द्वारा जीत लिए जाने के बाद बंगाल पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी ने शासन का शिकंजा कसा।
- 1857 के सिपाही विद्रोह के बाद ब्रिटिश ताज ने भारत के शासन का उत्तरदायित्व प्रत्यक्षः रूप से अपने हाथों में ले लिया और यह शासन 15 अगस्त 1947 तक भारत स्वतंत्रता तक अनवरत रहा।
- एम.एन.राय को भारत में साम्यवाद आंदोलन (1924) के प्रणेता के रूप में जाना जाता है।
- रेग्युलेटिंग एक्ट 1773 में पारित हुआ। इसके तहत भारत में कम्पनी के प्रशासनिक और राजनीतिक कार्यों को मान्यता मिली। इसके द्वारा भारत में केन्द्रीय प्रशासन की नींव रखी गई।
- रेग्युलेटिंग के द्वारा बंगाल के गवर्नर को बंगाल का गवर्नर जनरल कहा जाने लगा। तथा पहले गवर्नर जनरल लॉर्ड वॉरेन हेस्टिंग्स बने।
- इस अधिनियम के तहत ही कलकत्ता में 1774 में एक उच्चतम न्यायालय की स्थापना की गई जिसमें एक न्यायाधीश एवं तीन अन्य न्यायाधीश थे।
- 1784 में पिट्स इण्डिया एक्ट पारित किया गया जिसका उद्देश्य 1773 के रेग्युलेटिंग एक्ट में व्याप्त कमियों को दूर करना था। इस एक्ट को 'एक्ट ऑफ सैटलमैंट' के नाम से जाना जाता है। इस एक्ट ने भारत में द्वैध शासन की नींव डाल दी थी।
- 1833 चार्टर एक्ट के द्वारा बंगाल के गवर्नर जनरल को 'भारत का गवर्नर जनरल' कहा जाने लगा। जिसमें सभी नागरिक एवं सैन्य शक्ति निहित थी।
- लॉर्ड विलियम बैंटिंग भारत के प्रथम गवर्नर जनरल थे।
- 1853 के चार्टर एक्ट के द्वारा भारत में सिविल सेवकों की भर्ती एवं चयन हेतु खुली प्रतियोगिता व्यवस्था का शुभारंभ किया गया। तथा 1854 में मैकाले समिति का नियुक्ति की गई। इस एक्ट के तहत प्रथम बार भारतीय केन्द्रीय विधान सभा परिषद में स्थानीय प्रतिनिधित्व प्राप्त किया गया।
- 1858 के भारत शासन अधिनियम के द्वारा ईस्ट इण्डिया कम्पनी को समाप्त कर दिया गवर्नरों क्षेत्रों और राजस्व सम्बन्धी शक्तियाँ ब्रिटिश राजशाही को हस्तांतरित कर दी गईं।
- 1858 के एक्ट के तहत शीर्ष अधिकारी महारानी विक्टोरिया के अधीन चला गया।
- इस एक्ट के तहत गवर्नर जनरल का नाम बदलकर वायसराय कर दिया गया। इसके तहत लॉर्ड कैनिंग भारत के प्रथम वायसराय बने।
- इस एक्ट ने नियंत्रण बोर्ड एवं निदेशक बोर्ड समाप्त कर दिया, तथा भारत में द्वैध शासन को भी समाप्त कर दिया था। इसी एक्ट में एक सचिव का पद सृजन किया गया, जिसमें भारतीय प्रशासन पर संपूर्ण नियन्त्रण की शक्ति निहित थी।
- 1861 के भारत परिषद एक्ट के तहत लॉर्ड कैनिंग द्वारा 1859 में प्रारम्भ की गई पोर्टफोलियो प्रणाली को भी मान्यता दी गई।
- 1861 के चार्टर एक्ट के द्वारा गवर्नर जनरल को अध्यादेश जारी करने के शक्ति प्रदान की गई। जिसकी अवधि मात्र 6 माह रखी गई।
- 1862 में लॉर्ड कैनिंग ने तीन सदस्यों (भारतीयों) बनारस के राजा, पटियाला के महाराजा और सर दिनकर राव को विधान परिषद में मनोनीत किया गया।
- 28 अप्रैल 1876 को महारानी विक्टोरिया को भारत की साम्राज्ञी घोषित किया गया।
- 1892 के चार्टर एक्ट के तहत अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली की शुरुआत की गई तथा इसके अतिरिक्त राजस्व एवं व्यय अथवा बजट पर बहस करने तथा कार्यप्रणाली से प्रश्न पूछने की शक्ति दी गई।
- 1909 के अधिनियम को मार्ले-मिन्टो सुधार के नाम से जाना जाता है, उस मार्ले इंग्लैंड में भारत के राज्य सचिव एवं लॉर्ड मिन्टो भारत के वायसराय थे।
- यह सबसे कम समय तक चलने वाला अधिनियम था। 1909 के चार्टर एक्ट के तहत पृथक प्रतिनिधित्व का उपबन्ध किया गया था।
- इस एक्ट ने साम्प्रदायिकता को वैधानिक प्रदान की और लॉर्ड मिन्टो को "साम्प्रदायिक निर्वाचन का जनक" के रूप में जाना जाने लगा। इस एक्ट के तहत विधान परिषदों में संख्या में वृद्धि की गई।
- सत्येन्द्र प्रसाद सिन्हा वायसराय की कार्यपालिका परिषद् के प्रथम भारतीय सदस्य बने उन्हें विधि सदस्य बनाया गया था।
- भारत शासन अधिनियम 1919 को क्रमिक रूप से 1921 में लागू किया गया, पूसे मॉण्टेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार भी कहा जाता है। इस एक्ट ने केन्द्रीय एवं प्रांतीय विषयों को पुनः दो भागों विभक्त किया पहला हस्तांतरित एवं दूसरा आरक्षित। हस्तांतरित विषय पर गवर्नर का शासन था, तथा आरक्षित विषयों पर गवर्नर कार्यपालिका की सहायता से शासन करता था। शासन की इस व्यवस्था को द्वैध शासन कहलाता है।
- 1919 के अधिनियम के तहत द्विसदनीय व्यवस्था और प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रारम्भ हुई। इस प्रकार भारतीय विधान परिषद् के स्थान पर द्विसदनीय यानि राज्य सभा एवं लोकसभा का गठन किया गया।
- प्रांतों में द्वैध शासन के जनक लियोनेस कार्टियस थे।
- द्वैध शासन प्रणाली भारत शासन अधिनियम 1935 के द्वारा समाप्त कर दी गई। इस अधिनियम के तहत भारत में लोक सेवा आयोग का गठन किया गया। तथा ली-आयोग का गठन किया गया।
- इस अधिनियम के तहत केन्द्रीय बजट को राज्य के बजट से अलग कर दिया गया।
- भारत में 1919 के अधिनियम के तहत महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला।
- साम्प्रदायिक अवार्ड इसे कम्युनल अवार्ड के नाम से जाना जाता है, इसके तहत ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्से मैकडोनाल्ड ने अगस्त 1932 में अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधित्व पर एक घोषणा की घोषणा की
- भारत शासन अधिनियम 1935 – यह अधिनियम साइमन कमीशन की रिपोर्ट पर आधारित था। इस एक्ट में 321 अनुच्छेद एवं 10 अनुसूचियाँ थी। इस अधिनियम के तहत प्रांतों से द्वैध शासन व्यवस्था का अंत कर दिया गया।
- इस अधिनियम के तहत परिषद सूची, प्रांतीय सूची, एवं समवर्ती सूची का निर्माण किया गया।
- इस अधिनियम में अवशिष्ट विधायी शक्तियाँ वायसराय के पास थी। इस अधिनियम के तहत संघीय न्यायालय की व्यवस्था की गई थी। न्यायालय से सम्बंधित अंतिम शक्ति प्रिवी कौंसिल लंदन में थी। इस अधिनियम के तहत भारतीय परिषद का अंत कर दिया गया। इस अधिनियम के तहत बर्मा भारत से अलग कर दिया गया। वर्ष 1937 में। तथा इसी अधिनियम के तहत भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना की गई थी 1935 में।
- केंद्र में द्वैध शासन की शुरुआत हुई। इस अधिनियम के तहत दलित जातियों, महिलाओं, मजदूरों वर्गों के लिए अलग से निर्वाचन की व्यवस्था का साम्प्रदायिक व्यवस्था का विस्तार किया गया।
- ब्रिटिश संसद में 4 जुलाई 1947 को "भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम" प्रस्तावित किया गया। जो 18 जुलाई 1947 को स्वीकृत हो गया।
- इस अधिनियम के तहत भारत से वायसराय पद समाप्त कर दिया गया, ब्रिटेन में भारत का सचिव पद समाप्त कर दिया गया।
- इसने शाही उपाधि से “भारत का सम्राट्" शब्द समाप्त कर दिया।
- बजट की व्यवस्था को ब्रिटिशकालीन भारत में 1860 में शुरू किया गया।
- असम का सिलहट जिले में भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के प्रवृत्त होने के पूर्व जनमत संग्रह में पाकिस्तान के पक्ष में मत दिया था।
- भारत शासन अधिनियम 1935 के तहत प्रांतीय लोक सेवा आयोग एवं दो या दो से अधिक राज्यों के लिए संयुक्त लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई।
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