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नौगांव के पमाड़ी गाँव मे सिविल भूमि की आग ने जला डाले सेब, नाशपाती और अखरोट के पेड़ निराश हुए किसान ।

सेब, नाशपाती और अखरोट के पौधे झुलसे

नौगांव (उत्तरकाशी) पमाड़ी गांव के कोइलिका तोक में स्थित नाप भूमि में अचानक भड़की आग से गारिया लाल के सेब, नाशपाती और अखरोट के दर्जनों पेड़ झुलस गए। आग से पमाड़ी गांव के धर्म सिंह राणा की गोशाला को भी नुकसान पहुंचा है। वहीं उप प्रभागीय वनाधिकारी साधु लाल ने बताया कि जहां काश्तकारों के बगीचे हैं, वह नाप भूमि है। जो राजस्व विभाग के अधिकार क्षेत्र में है। मुआवजा देने का अधिकार भी राजस्व विभाग का है। नुकसान जंगल की आग से नहीं हुआ है। नायब तहसीलदार बड़कोट खजान असवाल ने बताया कि राजस्व उपनिरीक्षक को घटना स्थल पर भेज गया है, रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। 

● जंगलो में आग लगने या लगाने के दो ही कारण हो सकते है पहला प्राकृतिक और दूसरा मानवीय आग जिसको मनुष्य द्वारा अपने निजी उदेश्य और कार्यों के सम्पन्न करने के लिए लागई जाती है ।

पहाड़ी क्षेत्र में लोग आग घास काटने के लिए ताकि अच्छा घास हमारी भूमि में आये, वन चारकों के द्वारा, बकरियों पालकों के द्वारा आदि आदि कारणों से लोग आग लगाते है, जो कि एक दण्डनीय अपराध है, भारतीय वन अधिनियम की धारा 26 में वनों में आग लगाने वाले के प्रति कार्यवाही एवम आर्थिक दंड का भी प्रावधान है ।

जंगलों में आग नही लगानी चाहिए कारण क्योंकि कई सारे जंगली जीव भी इसके शिकार हो जाते है, जिस कारण से उनको भी नुकसान हो जाता है। 

आने वाले भावी पीढ़ी के लिए जंगलों को बचाये ताकि भविष्य में आने वाली पीढ़ी इसका उपभोग कर सकें ।


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